Parmita 8 (8):88-91 (
2017)
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Abstract
भारतीय समाज मूल्यप्रधान समाज है. भारतीय संस्कृति में मूल्यों को मनुष्य के सामाजिक, राजनैतिक और धार्मिक जीवन में विशेष स्थान दिया गया है क्योंकि मूल्यों के वास्तवीकरण का नाम ही संस्कृति है. वर्तमान समय में विज्ञान ने जहाँ मनुष्य को भौतिक सुविधाएँ उपलब्ध कराने के लिए प्रत्येक क्षेत्र में अविष्कारों के ढेर लगा दिए हैं ,वहां उसके जीवन में एक खोखलापन भी उत्त्पन्न कर दिया है. ऐसे में समाज, देश और अपने स्वयं के जीवन में उसने मानव मूल्यों को तिलांजली दे दी है. मानव जीवन की सार्थकता तभी है जब वह श्रेष्ठ भावनाएं रखे. हम एक लोकतान्त्रिक समाज का हिस्सा हैं जहाँ पर हम आपसी भाई-चारे, न्याय, समान अधिकार और स्वतन्त्रता का हिमायती बनने का नाटक करते हैं. संविधान में दिए गये मूल्यों की प्राप्ति से पहले हमें व्यक्ति के जीवन और समाज का भी मुआयना करना होगा तभी हम श्रेष्ठ मूल्यों को समाज में स्थापित कर सकते हैं. मूल्य, व्यक्ति की सामाजिक विरासत का एक अंग होता है इसलिए मूल्यों की व्यवस्था मानव आस्तित्व के विभिन्न स्तरों या आयामों में व्यक्ति के अनुकूलन की प्रक्रिया का मार्गदर्शन करती है. नैतिक मूल्य व्यक्ति के जीवन के साथ साथ समाज को भी उत्कृष्टता की तरफ अग्रसर करते हैं. इस शोध-पत्र का मुख्य उद्देश्य नैतिक मूल्यों के व्यक्ति के जीवन और वर्तमान भारतीय समाज में उपयोगिता का अध्ययन करना है.