Dr. B.R. Ambedkar: The Maker of Modern India (
2016)
Copy
BIBTEX
Abstract
लोकतान्त्रिक अधिकार वर्तमान समय का महत्वपूर्ण और प्रसांगिक प्रश्न बन चुका है. देश के भौतिक और आर्थिक विकास की कीमत आम लोगों के लोकतान्त्रिक अधिकारों के हनन के द्वारा दी जा रही है. वर्तमान परिस्थितियाँ हमें किसी सम्भावित सामाजिक क्रांति की ओर अग्रसर कर रहीं है. पिछली शताब्दी की जिस सामाजिक क्रांति की बदौलत भारत में आज हम स्वतन्त्रता, समानता और भ्रातृत्व की बात करते है, उसमें साहूजी महाराज, ज्योतिबा फुले, नारायण गुरु और डॉ. अम्बेडकर का बहुत बड़ा योगदान रहा है । इन तमाम महापुरुषों के संघर्षो के परिणामस्वरूप ही हमे बोलने की, लिखने की, अपनी मर्ज़ी से पेशा चुनने की, संगठन खड़ा करने की, मीडिया चलाने की आज़ादी मिली है अन्यथा जातिगत भेदभाव को गलत नहीं माना जाता, छुआ-छूत को कानूनी अपराध घोषित नहीं किया जाता, स्त्री स्वतंत्रता की बात कौन करता. राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर लोकतान्त्रिक अधिकारों के संघर्ष पर हमें बहुत कुछ पढने और सुनने को मिलता है लेकिन जब भी हम भारत के विद्वानों की तरफ देखते हैं तो आमतौर पर डॉ. अम्बेडकर जी को केवल दलितों के मसीहा और संविधान का रचियता भर कह कर बात खत्म कर दी जाती है. चाहे हम इसे लोकतान्त्रिक अधिकार कहें या मानवाधिकार कहें. डॉ अम्बेडकर जी ऐसे व्यक्तित्व हैं जिनके सामाजिक योगदान को हम नकार नहीं सकते क्योंकि उनके विचारों और संघर्ष का प्रभाव आज हम भारतीय समाज पर निर्विवाद देख सकते हैं. प्रस्तुत लेख का उद्देश्य डॉ. भीमराव अम्बेडकर जी के योगदान को वर्तमान लोकतान्त्रिक अधिकारों के संघर्ष के इतिहास के सन्दर्भ में अध्ययन करना है.