Relevance of Substance Theory of Charvaka in Present Times

Lokayata: Journal of Positive Philosophy (01):52-55 (2018)
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Abstract

भारतीय चिन्तन परम्परा में पंच-महाभूत का बहुत महत्वपूर्ण स्थान है. भारतीय प्राचीन ग्रन्थों से लेकर अब तक विश्व की सरंचना सम्बन्धी सिद्धांतों में पंच-महाभूत सबसे स्वीकार्य सिद्धांत माना जाता रहा है. ये पांच तत्व हैं: पृथ्वी, जल, वायु, अग्नि और आकाश. परन्तु चार्वाक जैसे दार्शनिक और आर्यभट्ट (पांचवीं शताब्दी) जैसे विज्ञानी यह कहते आ रहे हैं की तत्व पांच नहीं, चार हैं. इन लोगों ने आकाश को स्वतंत्र तत्व के रूप में स्वीकर नहीं किया. चार्वाक का यह भी विचार रहा है की सारा भौतिक व प्राक्रतिक परिदृश्य न किसी ने रचा है, न इसका कोई उद्देश्य है, प्रक्रति में परिवर्तन, विकास, रुपनान्तरण आदि इसकी अपनी प्रकिया है जो तब भी लाखों करोड़ों वर्षों से हो रहा था और आज भी विभिन्न रूपों में हो रहा है. पंच-तत्व के सिद्धांत को मानने वालों का विचार है की इन पांच तत्वों से जब शारीर बनता है तब आत्मा बाहर से प्रविष्ट होती है जबकि चार तत्व को मानने वाले चार्वाक का कथन है की इन चरों तत्वों के विशेष रूप में परस्पर मेल से ही चैतन्य (चेतना ) की उत्पत्ति होती है, आत्मा कहीं बाहर से नहीं आती- भूतेभ्य: चैतन्यम.आज विज्ञानं बहुत आगे बढ़ गया है और चार्वाक उसके अनुसार नये तत्वों की बात करते हैं. वास्तविकता तो यह है की जिन्हें हम तत्व कह रहे हैं वे तत्व न होकर यौगिक या मिश्रण हैं. तत्व वह होता है जिसमें एक तरह कर परमाणु रहते हैं और जिसे सरलतम पदार्थ के रूप में विभाजित नहीं किया जा सकता. चार्वाक प्रकृति के जड़ रूप से ही, भौतिक तत्वों से चैतन्य की उत्पत्ति को मानता है. जैसे किनव, मधु और शर्करा आदि के मिलने से मादकता उत्पन्न होती है उसी प्रकार शरीर में चैतन्य की उत्त्पति होती है. जब भौतिक तत्वों का तालमेल बिगड़ जाता है तो चैतन्य भी खत्म हो जाता है- सदा के लिए, सर्वदा के लिए – भस्मीभूतस्य देहस्य पुनरागमन कुत:.चार्वाक का कहना है की चैतन्य आत्मा काआकस्मिक गुण नहीं बल्कि मौलिक गुण है और चैतन्ययुक्त शरीर ही आत्मा है . यद्यपि आज चार्वाक के चार तत्व भी आदर्शवादियों के पांच तत्वों की तरह ही रद्द हो चुके हैं तथापि उनकी स्थिति दूसरी है. उन्होंने चार तत्वों को प्रकृति के प्रतिनिधि कह कर इन से चेतना की उत्पत्ति मानी है, प्रकृति एकतत्ववाद का उनका सिद्धांत आज विज्ञानसम्मत सिद्धांत है, भले ही उन की तत्वों की बात तकनीकी रूप में सही न हो. उनके लिए चार तत्वों को मानना न अनिवार्य है और न ही उसे मानने के लिए कोई ईश्वरीय आदेश है क्योंकि तत्व उनके लिए प्रकृति के प्रतिनिधि मात्र हैं, जो तब यदि चार थे तो आज 118 हैं. इससे उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता जबकि अन्य दर्शनों के लिए के लिए स्वीकार करना दुरूह है. अत: हम कह सकते हैं की चार्वाक का दर्शन अनात्मवादी, प्रत्यक्षवादी और भौतिकवादी है. अत: इस शोध-पत्र का मुख्य विष्ण पंच-महाभूतों की अवधारणा की चार्वाक के सन्दर्भ में समीक्षा करना है और चार्वाक दर्शन की आज की प्रासंगिकता को देखना है.

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Desh Raj Sirswal
Panjab University

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2016-04-22

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