Sat evam Ābhās kī Dārshanik Vivechanā : Shankarāchārya evam Bradley ke Pariprekṣhya mean (सत् एवं आभास की दार्शनिक विवेचना : शंकराचार्य एवं ब्रैडले के परिप्रेक्ष्य में)

Padchinh 12 (4):54-69 (2023)
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Abstract

प्रस्तावित शोध-पत्र सत् या निरपेक्ष तथा आभास या जगत संबंधित अवधारणा की शंकराचार्य एवं ब्रैडले के परिप्रेक्ष्य में दार्शनिक विवेचना है। इस शोध-पत्र का प्रमुख उद्देश्य भारतीय एवं पाश्चात्य दार्शनिक जगत के प्रख्यात विद्वानों विशेषतः शंकराचार्य एवं ब्रैडले के सत् एवं आभास संबंधी विचारों में समाविष्ट समानताओं एवं विषमताओं का व्यापक रूप से विश्लेषण प्रस्तुत करना है। इस कारण शोध-पत्र के अंतर्गत सर्वप्रथम, यह प्रदर्शित किया गया है कि क्यों उक्त दोनों दार्शनिकों के संदर्भ में ही सत् एवं आभास की अवधारणा का विवेचन किया गया है। द्वितीयतः, शंकराचार्य एवं ब्रैडले दोनों के सत् या निरपेक्ष संबंधी विचारों की गवेषणा की गई है। तृतीयतः, उक्त दोनों दार्शनिकों के दर्शन में व्याप्त सत् एवं आभास के स्वरूप को विवेचित करते हुए समीक्षात्मक अध्ययन किया गया है और तदुपरांत, अंत में उपर्युक्त सभी पक्षों का गहन मूल्यांकन करते हुए निष्कर्ष को प्रस्तुत करने का प्रयत्न किया गया है।

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